गिला शिकवा शायरी
ज़िक्र अक्सर तेरा ही आता है हर अफ़साने में,
तुझे जान से ज्यादा चाहा हमने ज़माने में,
तन्हाई में तेरा ही सहारा मिला,
नाकाम रहे तुझे अक्सर हम भुलाने में !!
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गिला शिकवा शायरी
किसी ने हमें रुलाया तो क्या बुरा किया,
दिल को दुखाया तो क्या बुरा किया,
हम तो पहले से ही तन्हा थे,
किसी ने एहसास दिलाया तो क्या बुरा किया !!
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गिला शिकवा शायरी
आग से सीख लिया हम ने यह करिश्मा भी,
बुझ भी जाना पर बड़ी देर तक सुलगते रहना,
जाने किस उम्र में जाएगी यह आदत अपनी,
रूठना उससे और औरों से उलझते रहना !!
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गिला शिकवा शायरी
इंतजार किस पल का किये जाते हो यारों,
प्यासो के पास समंदर नही आने वाला,
लगी है प्यास तो चलो रेत निचोड़ी जाए,
अपने हिस्से में समंदर नहीं आने वाला !!
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गिला शिकवा शायरी
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गई है,
खामोशियों की आदत हो गई है,
ना शिकवा रहा ना शिकायत किसी से,
अगर है तो एक मोहब्बत, जो इन तन्हाईयों से हो गई है !!
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गिला शिकवा शायरी
इस कदर हम यार को मनाने निकले,
उसकी चाहत के हम दीवाने निकले,
जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा,
उसके पास वक़्त ना होने के बहाने निकले !!
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गिला शिकवा शायरी
उन्हे एहसास हुआ है इश्क़ का हमे रुलाने के बाद,
अब हम पर प्यार आया है दूर चले जाने के बाद,
क्या बताएं किस कदर बेवफ़ा है यह दुनिया,
यहाँ लोग भूल जाते ही किसी को दफनाने के बाद !!
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गिला शिकवा शायरी
उन्हे शिकायत है हमसे की,
हम हर किसी को देखकर मुस्कुराते है,
ना समझ वो क्या जाने हमको तो,
हर चेहरे में वो ही नज़र आते है !!
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गिला शिकवा शायरी
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है,
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है,
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद,
फिर भी हर मोड़ पर उसी का इन्तज़ार क्यों है !!
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गिला शिकवा शायरी
एक दिन हम तुम से दूर हो जायेंगे,
अंधेरी गलियों में यूं ही खो जायेंगे,
आज हमारी फिक्र नहीं है आपको,
कल से हम भी बेफिक्र हो जायेंगे !!
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गिला शिकवा शायरी
एक वफ़ा को पाने की कोशिश में,
ज़ख़्मी होती है वफ़ाएं कितनी,
कितना मासूम सा लगता है लफ्ज़ मोहब्बत,
और इस लफ्ज़ से मिलती है सज़ाए कितनी !!
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गिला शिकवा शायरी
एक सिलसिले की उम्मीद थी जिनसे,
वही फ़ासले बनाते गये,
हम तो पास आने की कोशिश में थे,
ना जाने क्यूँ वो हमसे दूरियाँ बढ़ाते गये !!
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गिला शिकवा शायरी
कम से कम तन्हाई तो साथी है,
अपनी जिंदगी के हर एक पल की,
चलो ये शिकवा भी दूर हुआ की,
किसी ने साथ नहीं दिया !!
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गिला शिकवा शायरी
कितना बेबस है इंसान किस्मत के आगे,
कितना दूर है ख्वाब हकीकत के आगे,
कोई रुकी हुई सी धड़कन से पूछे,
कितना तड़पता है यह दिल मोहब्बत के आगे !!
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गिला शिकवा शायरी
कितना समझाया दिल को की तु प्यार ना कर,
किसी के लिए खुद को बेक़रार ना कर,
वो तेरे लिए नहीं है नादान,
ऐ पागल किसी और की अमानत का इंतज़ार ना कर !!
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गिला शिकवा शायरी
किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नहीं,
किसी को दिल में बसाना कोई खता तो नहीं,
गुनाह हो यह ज़माने की नजर में तो क्या,
यह ज़माने वाले कोई खुदा तो नहीं !!
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गिला शिकवा शायरी
कोई जुदा हो गया कोई ख़फ़ा हो गया,
यह दुनिया के लोगों को क्या हो गया,
जिस सजदे में मुझे उस को माँगना था रब से,
अफ़सोस वही सजदा क़ज़ा हो गया !!
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गिला शिकवा शायरी
जाने क्यों अकेले रहने को मज़बूर हो गए,
यादों के साये भी हमसे दूर हो गए,
हो गए तन्हा इस महफ़िल में,
की हमारे अपने भी हमसे दूर हो गए !!
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गिला शिकवा शायरी
ज़िंदगी से चले है अब इल्ज़ाम लेकर,
बहुत जी चुके है हम उनका नाम लेकर,
अकेले बातें करेंगे अब वो इन सितारों से,
अब चले जायेंगे उन्हे यह सारा आसमान देकर !!
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गिला शिकवा शायरी
ज़िंदगी हमारी यूँ सितम हो गयी,
ख़ुशी ना जाने कहाँ दफ़न हो गयी,
बहुत लिखी खुदा ने लोगों की मोहब्बत,
जब आयी हमारी बारी तो स्याही ही ख़त्म हो गयी !!
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गिला शिकवा शायरी
तरसते थे जो मिलने को हमसे कभी,
आज वो क्यों मेरे साए से कतराते है,
हम भी वही है दिल भी वही है,
न जाने क्यों लोग बदल जाते है !!
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गिला शिकवा शायरी
तु कहीं भी रह तेरे सर पे इल्जाम तो है,
तेरी हाथों की लकीरों में मेरा नाम तो है,
मुझे अपना बना या ना बना तेरी मर्जी,
पर तु मेरे नाम से बदनाम तो है !!
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गिला शिकवा शायरी
दर्द गैरो को सुनाने की ज़रूरत क्या है,
अपने साथ औरो को रुलाने की ज़रूरत क्या है,
वक्त यूँही कम है दोस्ती के लिए,
रूठकर वक्त गंवाने की ज़रूरत क्या है !!
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गिला शिकवा शायरी
दिल पे क्या गुज़री वो अनजान क्या जाने,
प्यार किसे कहते है वो नादान क्या जाने,
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का,
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने !!
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गिला शिकवा शायरी
दिल से दूर जिन्हे हम कर ना सके,
पास भी उन्हे हम कभी पा ना सके,
मिटा दिया प्यार जिसने हमारे दिल से,
हम उनका नाम लिख कर भी मिटा ना सके !!
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गिला शिकवा शायरी
दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बैठे,
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बैठे,
वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,
और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बैठे !!
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गिला शिकवा शायरी
दिलो को खरीदने वाले लोग हज़ार मिल जायेंगे,
तुमको दगा देने वाले बार-बार मिल जायेंगे,
मिलेगा न हमे तुम जैसा कोई,
मिलने को तो लोग हमे बेशुमार मिल जायेंगे !!
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गिला शिकवा शायरी
नज़र चाहती है दीदार करना,
दिल चाहता है प्यार करना,
क्या बतायें इस दिल का आलम,
नसीब में लिखा है इंतजार करना !!
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गिला शिकवा शायरी
मंजिल भी उसकी थी, रास्ता भी उसका था,
एक मैं अकेला था, बाकी काफिला भी उसका था,
साथ-साथ चलने की सोच भी उसकी थी,
फ़िर रास्ता बदलने का फ़ैसला भी उसका था !!
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गिला शिकवा शायरी
मुद्दत से कोई शख्स रुलाने नहीं आया,
जलती हुई आँखों को बुझाने नहीं आया,
जो कहता था की रहेंगे उम्र भर साथ तेरे,
अब रूठे है तो कोई मनाने नहीं आया !!
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गिला शिकवा शायरी
रीत है जाने यह किस ज़माने की,
जो सज़ा मिलती हैं यहाँ किसी से दिल लगाने की,
ना बसाना किसी को दिल में इतना की,
फिर दुआ माँगनी पड़े रब से उसे भुलाने की !!
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गिला शिकवा शायरी
वादा करते तो कोई बात होती,
मुझे ठुकराते तो कोई बात होती,
यूँ ही क्यों छोड़ दिया दामन,
कसूर बतलाते तो कोई बात होती !!
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गिला शिकवा शायरी
वो समझे या ना समझे मेरे जज्बात को,
मुझे तो मानना पड़ेगा उनकी हर बात को,
हम तो चले जायेंगे इस दुनिया से,
मगर आंसू बहायेंगे वो हर रात को !!
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गिला शिकवा शायरी
वो जिनके घर मेहमानों का आना-जाना होता है,
उनको घर का हर कमरा हर रोज़ सजाना होता है,
जिस देहरी की क़िस्मत में स्वागत या वंदनवार न हो,
उस चौखट के भीतर केवल इक तहख़ाना होता है !!
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गिला शिकवा शायरी
हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता है,
शिकायत करो तो उनको मजाक लगता है,
कितनी शिद्दत से उन्हें याद करते है हम,
और एक वो है जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है !!
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गिला शिकवा शायरी
हमने सोचा कि सिर्फ हम ही उन्हे चाहते है,
मगर उनके चाहने वालों का तो काफ़िला निकला,
मैंने सोचा की शिकायत करू खुदा से,
मगर वह भी उनके चाहने वाला निकला !!
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गिला शिकवा शायरी
हमें भुलाकर सोना तो तेरी,
आदत ही बन गई है सनम,
किसी दिन हम सो गए तो,
तुझे नींद से नफ़रत हो जायेगी !!
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गिला शिकवा शायरी
हर वक़्त का हंसना तुझे बर्बाद ना कर दे,
तन्हाई के लम्हो में, कभी रो भी लिया कर,
ए दिल तुझे दुश्मन की भी पहचान कहाँ,
तु हल्का-ए-याराना में भी मोहतात रहा कर !!
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गिला शिकवा शायरी
हुस्न भी था, कशिश भी थी,
अंदाज़ भी था, नक़ाब भी था,
हया भी थी, प्यार भी था,
अगर कुछ ना था तो बस इकरार !!
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गिला शिकवा शायरी
दिल की किस्मत बदल न पाएगा,
बंधनो से निकल न पाएगा,
तुझको दुनिया के साथ चलना है,
तु मेरे साथ चल न पाएगा !!
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गिला शिकवा शायरी
दस्तूर-ए-उल्फ़त वो निभाते नहीं है,
जनाब महफ़िल में आते ही नहीं है,
हम सजाते है महफ़िल हर शाम,
एक वो है जो कभी तशरीफ़ लाते ही नहीं है !!
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गिला शिकवा शायरी
कहने वालों का कुछ नहीं जाता,
सहने वाले कमाल करते है,
कौन ढूंढें जवाब दर्दो के,
लोग तो बस सवाल करते है !!
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गिला शिकवा शायरी
काश आपकी सूरत इतनी प्यारी ना होती,
काश आपसे मुलाक़ात हमारी ना होती,
सपनो में ही देख लेते हम आपको,
तो आज मिलने की इतनी बेकरारी ना होती !!
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गिला शिकवा शायरी
कहते है बिना मेहनत किये,
आप कुछ पा नहीं सकते,
न जाने गम पाने के लिए,
कौन सी मेहनत कर ली मैंने !!
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गिला शिकवा शायरी
कहाँ से लाऊँ हुनर उसे मनाने का,
कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का,
मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी,
क्योंकि जुर्म मेरा था उनसे दिल लगाने का !!
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गिला शिकवा शायरी
अपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है,
एक नज़र मेरी तरफ देख, तेरा जाता क्या है,
मेरी बर्बादी में तू भी है बराबर का शामिल,
मेरे किस्से मेरे यारों को सुनाता क्या है !!
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गिला शिकवा शायरी
इस कदर हम यार को मनाने निकले,
उसकी चाहत के हम दिवाने निकले,
जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा,
उसके होठों से वक़्त न होने के बहाने निकले !!
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गिला शिकवा शायरी
सजा लबों से आपने सुनाई तो होती,
रूठ जाने की वजह बताई तो होती,
बेच देता मैं खुद को तुम्हारे लिए,
कभी खरीदने की चाहत जताई तो होती !!
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गिला शिकवा शायरी
हम तो मौजूद थे रात में उजालों की तरह,
लोग निकले ही नहीं ढूंढने वालों की तरह,
दिल तो क्या हम रूह में भी उतर जाते,
उस ने चाहा ही नहीं चाहने वालों की तरह !!
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गिला शिकवा शायरी
दिल से मिले दिल तो सजा देते है लोग,
प्यार के जज्बातो को डुबा देते है लोग,
दो इँसानो को मिलते कैसे देख सकते है,
जब साथ बैठे दो परिन्दो को भी उठा देते है लोग !!
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गिला शिकवा शायरी
तुझे मोहब्बत करना नहीं आता,
मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ आता नहीं,
ज़िंदगी गुज़ारने के दो ही तरीके है,
एक तुझे नहीं आता, एक मुझे नहीं आता !!
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गिला शिकवा शायरी
मत बनाना रिश्ता इस जहां में,
बहुत मुश्किल उन्हे निभाना होगा,
हर एक रिश्ता एक नया ग़म देगा,
एक तरफ बेबस तु और एक तरफ हँसता ज़माना होगा !!
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गिला शिकवा शायरी
वो रास्ते में पलटा तो रुक गया मैं भी,
फिर कदम, कदम न रहे, सफर, सफर न रहा,
नज़रों से गिराया उसको कुछ इस तरह हमने,
की वो खुद अपनी नज़रो में मुताबिर न रहा !!
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गिला शिकवा शायरी
एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा,
बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगा,
टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने,
अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगा !!
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गिला शिकवा शायरी
मोहब्बत से वो देखते है सभी को,
बस हम पर कभी ये इनायत नहीं होती,
मैं तो शीशा हूँ टूटना मेरी फ़ितरत है,
इसलिए मुझे पत्थरों से कोई शिकायत नहीं होती !!
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गिला शिकवा शायरी
फूलों को तो बहारों में आना ही था,
खारो को क्यों संग में लाना था,
जिसे चाहा हमने दिल से अपनाया,
क्या उसी को हमसे दूर जाना था !!
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गिला शिकवा शायरी
दर्द ही सही मेरे इश्क़ का इनाम तो आया,
खाली ही सही होठों तक जाम तो आया,
मैं हूँ बेवफा सबको बताया उसने,
यूँ ही सही चलो उसके लबों पर मेरा नाम तो आया !!
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गिला शिकवा शायरी
भुला के मुझको अगर तुम भी हो सलामत,
तो भुला के तुझको संभलना मुझे भी आता है,
नहीं है मेरी फितरत में ये आदत वरना,
तेरी तरह बदलना मुझे भी आता है !!
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गिला शिकवा शायरी
हर शाम कह जाती है एक कहानी ,
हर सुबह ले आती है एक नई कहानी,
रास्ते तो बदलते है हर दिन लेकिन,
मंजिल रह जाती है वही पुरानी !!
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गिला शिकवा शायरी
कोई रिश्ता टूट जाये दुख तो होता है,
अपने हो जाये पराये दुख तो होता है,
माना हम नहीं प्यार के काबिल,
मगर इस तरह कोई ठुकराये दुख तो होता है !!
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गिला शिकवा शायरी
रेत पर नाम लिखते नहीं,
रेत पर लिखे नाम कभी टिकते नहीं,
लोग कहते है पत्थर दिल है हम,
लेकिन पत्थरों पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं !!
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गिला शिकवा शायरी
क्यों उन्हे हमारी सदा सुनाई नहीं देती,
जाने क्यों वो हमसे जुदा रहता है,
लौट आती है इबादत भी मेरी खाली,
जाने किस मंज़िल पे खुदा रहता है !!
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गिला शिकवा शायरी
मैंने रब से कहा वो छोड़ के चली गई,
पता नहीं उसकी क्या मजबूरी थी,
रब ने कहा इसमें उसका कोई कसूर नहीं,
यह कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी !!
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गिला शिकवा शायरी
फलक से चाँद उतारा गया,
मेरी आस का एक सहारा गया,
मैं दो बूँद पानी तरसती रही,
मेरे होंठों से ज़हर गुज़ारा गया !!
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गिला शिकवा शायरी
रात क्या ढली सितारे चले गए,
गैरों से क्या शिकायत जब हमारे चले गए,
जीत सकते थे हम भी इश्क़ की बाज़ी,
पर उनको जिताने की धुन में हम हारे चले गए !!
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गिला शिकवा शायरी
दीवाने तेरे है इस बात से इनकार नहीं,
कैसे कहे की हमें आपसे प्यार नहीं,
कुछ तो कसूर है आपकी निगाहों का,
हम अकेले तो गुनेहगार नहीं !!
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गिला शिकवा शायरी
खुदा जाने प्यार का दस्तूर क्या होता है,
जिन्हे अपना बनाया वो न जाने क्यों दूर होता है,
कहते है की मिलते नहीं ज़मीन आसमान,
फिर न जाने क्यूँ, आसमान ज़मीन का सरूर होता है !!
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गिला शिकवा शायरी
सपना है आँखों में मगर नींद नहीं है,
दिल तो है जिस्म में मगर धड़कन नहीं है,
कैसे बयाँ करे हम अपना हाल-ए-दिल,
जी तो रहें है मगर ये ज़िंदगी नहीं है !!
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गिला शिकवा शायरी
ना जाने कौन सी बात पर वो रूठ गयी है,
मेरी सहने की हदे भी अब टूट गयी है,
कहती थी जो की कभी नहीं रूठेगी मुझसे,
आज वो अपनी ही बाते भूल गयी है !!
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गिला शिकवा शायरी
कभी तो सोच तेरे सामने नहीं गुज़रे,
वो सब समय जो तेरे ध्यान से नहीं गुज़रे,
ये और बात है की उनके दरमियाँ में भी,
ये वाकिये किसी तकरीब से नहीं गुज़रे !!
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गिला शिकवा शायरी
मेरी वफाएं सभी लोग जानते है,
उसकी जफ़ाएं सभी लोग जानते है,
वो ही ना समझ पाए मेरी शायरी,
दिल की सदाएं सभी लोग जानते है !!
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गिला शिकवा शायरी
हमारी आँखों में आंसू आये न होते,
अगर तुम पीछे मुड़कर मुस्कुराए न होते,
तुम्हारे जाने के बाद ये गम होता है की,
काश तुम जिंदगी में आये ही न होते !!
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गिला शिकवा शायरी
मैं सच में ख़ाक हूँ मुझको जलाना छोड़ दे,
कब्र पर मेरी तु उसके साथ आना छोड़ दे,
हो सके गर तु खुशी से अश्क पीना सीख ले,
या तु आँखों में अपनी काजल लगाना छोड़ दे !!
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गिला शिकवा शायरी
चांदनी रात बड़ी देर के बाद आयी,
ये मुलाक़ात बड़ी देर के बाद आयी,
आज आये है वो मिलने को बड़ी देर के बाद,
आज की रात बड़ी देर के बाद आयी !!
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गिला शिकवा शायरी
मुझे सता के वो मेरी दुआएं लेता है,
उसे खबर है की मुझे बद्दुआ नहीं आती,
सब कुछ सौप दिया उसे हमने,
फिर भी वो कहता है हमे वफा नहीं आती !!
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गिला शिकवा शायरी
सपनों की तरह आकर चले गए,
ग़मों की नींद सुलाकर चले गए,
किस भूल की सज़ा दी हमको,
पहले हंसाया और फिर रुलाकर चले गए !!
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गिला शिकवा शायरी
हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता है,
शिकायत करो तो उनको मजाक लगता है,
कितने सिद्दत से उन्हे याद करते है हम,
और एक वो है जिन्हे ये सब इत्तेफाक लगता है !!
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गिला शिकवा शायरी
चंद कलियाँ निशात की चुनकर,
मुद्दतो मायूस रहता हूँ,
तेरा मिलना ख़ुशी की बात ही सही,
तुझसे मिलकर उदास रहता हूँ !!
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गिला शिकवा शायरी
कुछ आँसू होते है जो बहते नहीं,
लोग अपने प्यार के बिना रहते नहीं,
हम जानते है आपको भी आती है हमारी याद,
पर जाने क्यों आप हमसे कहते नहीं !!
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गिला शिकवा शायरी
मुझे देखने से पहले साफ़ कर,
अपनी आँखों की पुतलियाँ ग़ालिब,
कहीं ढक ना दे मेरी अच्छाइयों को भी,
नज़रों की ये गन्दगी तेरी !!
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गिला शिकवा शायरी
खामोश थे हम तो मगरूर समझ लिया,
चुप है हम तो मजबूर समझ लिया,
यही आप की खुशनसीबी है की हम इतने क़रीब है,
फिर भी आप ने दूर समझ लिया !!
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गिला शिकवा शायरी
एक अजीब सा मंजर नज़र आता है,
हर एक आंसू समंदर नज़र आता है,
कहाँ रखू मैं शीशे सा दिल अपना,
हर किसी के हाथ में पत्थर नज़र आता है !!
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गिला शिकवा शायरी
वो भूल गए की उन्हे हसाया किसने था,
जब वो रूठे थे तो मनाया किसने था,
वो कहते है वो बहुत अच्छे है शायद,
वो भूल गए कि उन्हे यह बताया किसने था !!
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गिला शिकवा शायरी
कदम यूं हीं डगमगा गया रास्ते में,
वर्ना संभलना हम भी जानते थे,
ठोकर भी लगी तो उस पत्थर से,
जिसे हम अपना मानते थे !!
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गिला शिकवा शायरी
मोहब्बत नहीं है कोई किताबों की बाते,
समझोगे जब रो कर कुछ काटोगे रातें,
जो चोरी हो गया तो पता चला दिल था हमारा,
करते थे हम भी कभी किताबों की बाते !!
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गिला शिकवा शायरी
तूने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते तेरी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले है ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ !!
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गिला शिकवा शायरी
मैं दीवाना हूँ तेरा मुझे इंकार नहीं,
कैसे कह दूं की मुझे तुमसे प्यार नहीं,
कुछ शरारत तो तेरी नज़रों में भी थी,
मैं अकेला ही तो इसका गुनहगार नहीं !!
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गिला शिकवा शायरी
हमे उनसे कोई शिकायत नहीं,
शायद हमारी किस्मत में चाहत नहीं,
मेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया,
पूछा तो कहा की ये मेरी लिखावट नहीं !!
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गिला शिकवा शायरी
जो आँसू दिल में गिरते है वो आँखों में नहीं रहते,
बहुत से हर्फ़ ऐसे है जो लफ़्ज़ों में नहीं रहते,
किताबों में लिखे जाते है दुनिया भर के अफ़साने,
मगर जिन में हक़ीक़त हो वो किताबो में नहीं रहते !!
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गिला शिकवा शायरी
बड़ी उम्मीद थी उनको अपना बनाने की,
तमन्ना थी उनके हो जाने की,
क्या पता था जिनके हम होना चाहते है,
उनको आदत ही नहीं थी किसी को अपना बनाने की !!
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गिला शिकवा शायरी
तु वो ज़ालिम है जो दिल में रहकर,
भी मेरा ना बन सका,
और दिल वो काफ़िर है जो,
मुझ में रहकर भी तेरा हो गया !!
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गिला शिकवा शायरी
तुझसे दोस्ती करने का हिसाब ना आया,
मेरे किसी भी सवाल का जवाब ना आया,
हम तो जागते रहे तेरे ही ख्यालो में,
और तुझे सो कर भी हमारा ख्वाब ना आया !!
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गिला शिकवा शायरी
मिला वो भी नहीं करते, मिला हम भी नहीं करते,
वफ़ा वो भी नहीं करते, वफ़ा हम भी नहीं करते,
उन्हे रुस्वाई का दुःख, हमे तन्हाई का दर्द,
गिला वो भी नहीं करते, शिकवा हम भी नहीं करते !!
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गिला शिकवा शायरी
उनके होंठों पे मेरा नाम जब आया होगा,
ख़ुद को रुसवाई से फिर कैसे बचाया होगा,
सुन के फ़साना औरो से मेरी बर्बादी का,
क्या उनको अपना सितम याद ना आया होगा ?
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गिला शिकवा शायरी
समझा न कोई हमारे दिल की बात को,
दर्द दुनिया ने बिना सोचे ही दे दिया,
जो सह गए हर दर्द को हम चुपके से,
तो हमको ही पत्थर दिल कह दिया !!
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गिला शिकवा शायरी
जब प्यार नहीं है तो भुला क्यों नहीं देते,
ख़त किसलिए रखे है जला क्यों नहीं देते,
किस वास्ते लिखा है हथेली पे मेरा नाम,
मैं हर्फ़ ग़लत हूँ तो मिटा क्यों नहीं देते !!
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गिला शिकवा शायरी
इंतज़ार करते करते वक़्त क्यों गुजरता नहीं,
सब है यहाँ मगर कोई अपना नहीं,
दूर नहीं पर फिर भी वो पास नहीं,
है दिल में कहीं पर आँखों से दूर कहीं !!
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गिला शिकवा शायरी
मुक्कदर का गरीब, दिल का अमीर था,
मिलकर बिछड़ना मेरा नसीब था,
चाह कर भी कुछ कर न सके हम,
घर जलता रहा और समुन्दर करीब था !!
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गिला शिकवा शायरी
आए ही तो थे तेरे दर पर,
ऐसा क्या कर गये थे हम,
तुम चाहने लगे हो औरो को,
ऐसा क्या मर गये थे हम !!
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गिला शिकवा शायरी
ये संगदिलों की दुनिया है,
यहाँ संभल के चलना ग़ालिब,
यहाँ पलकों पे बिठाया जाता है,
नज़रों से गिराने के लिए !!
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गिला शिकवा शायरी
वह कहता है पागल है वो तो,
जो मेरी बातों को अपने दिल पर ले गई,
मैंने तो कभी उसे अपना माना ही नहीं था,
वो तो खुद-ब-खुद मेरी होकर रह गई !!
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गिला शिकवा शायरी
इन आंखो मे आंसू आये न होते,
अगर वो पीछे मुडकर मुस्कुराये न होते,
उनके जाने के बाद बस येही गम रहेगा,
की काश वो हमारी ज़िन्दगी मे दूबारा आये न होते !!
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गिला शिकवा शायरी
मेरे प्यार को बहकावा समझ लिया उन्होने,
मेरे एहसास को पछतावा समझ लिया उन्होने,
मैं रोती रही उनकी याद में पर हुआ ये की,
मुझे ही बेवफ़ा समझ लिया उन्होने !!
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गिला शिकवा शायरी
वादा कर लेते है निभाना भूल जाते है,
लगाकर आग बुझाना भूल जाते है,
ये तो आदत हो गई है अब उनकी रोज़,
की रुलाते है और मनाना भूल जाते है !!
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गिला शिकवा शायरी
तुम दुआ हो मेरी सदा के लिए,
मैं जिंदा हूँ तुम्हारी दुआ के लिए,
कर लेना लाख शिकवे हमसे,
मगर कभी खफा न होना खुदा के लिए !!
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गिला शिकवा शायरी
मोहब्बत मुक़द्दर है एक ख्वाब नहीं,
ये वो अदा है जिसमे सब कामयाब नहीं,
जिन्हें पनाह मिली उन्हे उँगलियों पर गिन लो,
मगर जो फना हुए उनका कोई हिसाब नहीं !!
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गिला शिकवा शायरी
मोहब्बत का मेरा यह सफर आख़िरी है,
ये कागज, ये कलम, ये गजल आख़िरी है,
फिर ना मिलेंगे अब तुमसे हम कभी,
क्योंकि तेरे दर्द का अब ये सितम आख़िरी है !!
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गिला शिकवा शायरी
हमें उनसे कोई शिकायत नहीं,
शायद हमारी ही किस्मत में चाहत नहीं,
हमारी तक़दीर को लिख कर तो ऊपर वाला भी मुकर गया,
पूछा जो हमने तो बोला यह मेरी लिखावट नहीं !!
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गिला शिकवा शायरी
काश वो नगमे हमें सुनाए ना होते,
आज उनको सुनकर ये आंसू ना आए होते,
अगर इस तरह भूल जाना ही था,
तो इतनी गहराई से दिल में समाए ना होते !!
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गिला शिकवा शायरी
ज़ख्म देने की आदत नहीं हमको,
हम तो आज भी वो एह्साह रखते है,
बदले-बदले तो आप है जनाब,
हमारे अलावा सबको याद रखते है !!
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गिला शिकवा शायरी
मैंने उस से बस इतना ही पूछा था की,
एक पल में किसी की जान कैसे निकल जाती है,
उस ने चलते चलते अपना हाथ,
मेरे हाथ से छुड़ा लिया !!
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गिला शिकवा शायरी
तुझे मोहब्बत करना नहीं आता,
मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ और नहीं आता,
ज़िन्दगी गुजारने के बस दो ही तरीके है,
एक तुझे नहीं आता और एक मुझे नहीं आता !!
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गिला शिकवा शायरी
अपना समझा तो कह दिया वरना,
गैरो से तो कोई गिला नहीं होता,
कुछ न कुछ पहले खोना पड़ता है,
मुफ्त में तो कोई तज़ुर्बा नहीं मिलता !!
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गिला शिकवा शायरी
उसका चेहरा भी सुनाता है कहानी उसकी,
चाहता हूँ की सुनूं उससे जुबानी उसकी,
वो सितमगर है तो अब उससे शिकायत कैसी,
क्योंकि सितम करना भी आदत है पुरानी उसकी !!
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गिला शिकवा शायरी
तेरी नज़रो से दूर जाने के लिए तैयार तो थे हम,
फिर इस तरह नज़रे घुमाने की जरूरत क्या थी,
तेरे एक इशारे पे हम इल्जाम भी अपने सिर ले लेते,
फिर बेवजह झूठे इल्जाम लगाने की जरुरत क्या थी !!
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गिला शिकवा शायरी
उन लोगो का क्या हुआ होगा,
जिनको मेरी तरह ग़म ने मारा होगा,
किनारे पर खड़े लोग क्या जाने,
डूबने वाले ने किस-किस को पुकारा होगा !!
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गिला शिकवा शायरी
तुमने चाहा ही नहीं, हालात बदल सकते थे,
तेरे आंसू मेरी आँखों से निकल सकते थे,
तुम तो ठहरे रहे झील के पानी की तरह,
दरिया बनते तो बहुत दूर निकल सकते थे !!
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गिला शिकवा शायरी
दिल तोड़ने वालों को सजा क्यों नहीं मिलती,
हर किसी को प्यार में सफलता क्यों नहीं मिलती,
लोग कहते है इश्क तो बीमारी है,
तो फिर मेडिकल स्टोर में इसकी दवा क्यों नहीं मिलती !!
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गिला शिकवा शायरी
किताबों में कहते है फूल तोडना मना है,
बागों में कहते है फूल तोड़ना मना है,
फूलों से कीमती चीज़ है दिल,
कोई नहीं कहता दिल तोड़ना मना है !!
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गिला शिकवा शायरी
अनजाने में दिल गँवा बैठे,
इस प्यार में कैसे धोखा खा बैठे,
उनसे क्या गिला करे भूल हमारी थी,
जो बिना दिल वालों से दिल लगा बैठे !!
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गिला शिकवा शायरी
जाने दुनियां में ऐसा क्यों होता है,
जो सब को ख़ुशी दे, वही क्यों रोता है,
उम्र भर जो साथ ना दे सके,
वही ज़िंदगी का पहला प्यार क्यों होता है !!
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गिला शिकवा शायरी
दिल की किस्मत बदल न पाएगा;
बंधनो से निकल न पाएगा;
तुझको दुनिया के साथ चलना है;
तु मेरे साथ चल न पाएगा।
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गिला शिकवा शायरी
कुछ आँसू होते हैं जो बहते नहीं;
लोग अपने प्यार के बिना रहते नहीं;
हम जानते हैं आपको भी आती है हमारी याद;
पर जाने क्यों आप हमसे कहते नहीं।
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गिला शिकवा शायरी
दिल से दूर जिन्हें हम कर ना सके;
पास भी उन्हें हम कभी पा ना सके;
मिटा दिया प्यार जिसने हमारे दिल से;
हम उनका नाम लिख कर भी मिटा ना सके।
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गिला शिकवा शायरी
मैंने रब से कहा वो छोड़ के चली गई;
पता नहीं उसकी क्या मजबूरी थी;
रब ने कहा इसमें उसका कोई कसूर नहीं;
यह कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी।
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गिला शिकवा शायरी
कितना बेबस है इंसान किस्मत के आगे;
कितना दूर है ख्वाब हकीकत के आगे;
कोई रुकी हुई सी धड़कन से पूछे;
कितना तड़पता है यह दिल मोहब्बत के आगे।
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गिला शिकवा शायरी
तुझे मोहब्बत करना नहीं आता;
मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ आता नहीं;
ज़िंदगी गुज़ारने के दो ही तरीके हैं;
एक तुझे नहीं आता, एक मुझे नहीं आता!
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गिला शिकवा शायरी
बड़ी उम्मीद थी उनको अपना बनाने की;
तमन्ना थी उनके हो जाने की;
क्या पता था जिनके हम होना चाहते हैं;
उनको आदत ही नहीं थी किसी को अपना बनाने की!
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गिला शिकवा शायरी
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गई है;
खामोशियों की आदत हो गई है;
ना शिकवा रहा ना शिकायत किसी से;
अगर है तो एक मोहब्बत, जो इन तन्हाईयों से हो गई है।
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गिला शिकवा शायरी
काश आपकी सूरत इतनी प्यारी ना होती;
काश आपसे मुलाक़ात हमारी ना होती;
सपनो में ही देख लेते हम आपको;
तो आज मिलने की इतनी बेकरारी ना होती!
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गिला शिकवा शायरी
खामोश थे हम तो मगरूर समझ लिया;
चुप हैं हम तो मजबूर समझ लिया;
यही आप की खुशनसीबी है कि हम इतने क़रीब हैं;
फिर भी आप ने दूर समझ लिया!
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गिला शिकवा शायरी
कितना समझाया दिल को कि तु प्यार ना कर;
किसी के लिए खुद को बेक़रार ना कर;
वो तेरे लिए नहीं है नादान;
ऐ पागल किसी और की अमानत का इंतज़ार ना कर!
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गिला शिकवा शायरी
मत बनाना रिश्ता इस जहां में;
बहुत मुश्किल उन्हें निभाना होगा;
हर एक रिश्ता एक नया ग़म देगा;
एक तरफ बेबस तु और एक तरफ हँसता ज़माना होगा।
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गिला शिकवा शायरी
हुस्न भी था, कशिश भी थी;
अंदाज़ भी था, नक़ाब भी था;
हया भी थी, प्यार भी था;
अगर कुछ ना था तो बस इकरार।
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गिला शिकवा शायरी
उन लोगों का क्या हुआ होगा;
जिनको मेरी तरह ग़म ने मारा होगा;
किनारे पर खड़े लोग क्या जाने;
डूबने वाले ने किस-किस को पुकारा होगा।
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गिला शिकवा शायरी
जाने क्यों अकेले रहने को मज़बूर हो गए;
यादों के साये भी हमसे दूर हो गए;
हो गए तन्हा इस महफ़िल में;
कि हमारे अपने भी हमसे दूर हो गए।
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गिला शिकवा शायरी
फूलों को तो बहारों में आना ही था;
खारों को क्यों संग में लाना था;
जिसे चाहा हमने दिल से अपनाया;
क्या उसी को हमसे दूर जाना था।
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गिला शिकवा शायरी
बर्बादी का दोष दुश्मनों को देता रहा मैं अब तलक;
दोस्तों को भी परख लिया होता तो अच्छा होता;
यूँ तो हर मोड़ पर मिले कुछ दगाबाज लेकिन;
आस्तीन को भी झठक लिया होता तो अच्छा होता।
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गिला शिकवा शायरी
वादा करते तो कोई बात होती;
मुझे ठुकराते तो कोई बात होती;
यूँ ही क्यों छोड़ दिया दामन;
कसूर बतलाते तो कोई बात होती।
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गिला शिकवा शायरी
मेरी वफाएं सभी लोग जानते हैं;
उसकी जफ़ाएं सभी लोग जानते हैं;
वो ही ना समझ पाए मेरी शायरी;
दिल की सदाएं सभी लोग जानते है।
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गिला शिकवा शायरी
काश वो नगमें हमें सुनाए ना होते;
आज उनको सुनकर ये आंसू ना आए होते;
अगर इस तरह भूल जाना ही था;
तो इतनी गहराई से दिल में समाए ना होते।
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गिला शिकवा शायरी
हर वक़्त का हंसना तुझे बर्बाद ना कर दे;
तन्हाई के लम्हों में, कभी रो भी लिया कर;
ए दिल तुझे दुश्मन की भी पहचान कहाँ;
तु हल्का-ए-याराना में भी मोहतात रहा कर।
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गिला शिकवा शायरी
हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता है;
शिकायत करो तो उनको मजाक लगता है;
कितने सिद्दत से उन्हें याद करते है हम;
और एक वो है, जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है।
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गिला शिकवा शायरी
रोती हुई आँखो मे इंतेज़ार होता है;
ना चाहते हुए भी प्यार होता है;
क्यू देखते है हम वो सपने;
जिनके टूटने पर भी उनके सच होने;
का इंतेज़ार होता है।
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गिला शिकवा शायरी
तेरी नज़रों से दूर जाने के लिए तैयार तो थे हम;
फिर इस तरह, नज़रें घुमाने की जरूरत क्या थी;
तेरे एक इशारे पे, हम इल्जाम भी अपने सिर ले लेते;
फिर बेवजह, झूठे इल्जाम लगाने की जरुरत क्या थी।
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गिला शिकवा शायरी
इंतजार किस पल का किये जाते हो यारों;
प्यासों के पास समंदर नही आने वाला;
लगी है प्यास तो चलो रेत निचोड़ी जाए;
अपने हिस्से में समंदर नहीं आने वाला।
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गिला शिकवा शायरी
कहने वालों का कुछ नहीं जाता;
सहने वाले कमाल करते हैं;
कौन ढूंढें जवाब दर्दों के;
लोग तो बस सवाल करते है।
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गिला शिकवा शायरी
कम से कम तन्हाई तो साथी है;
अपनी जिंदगी के हर एक पल की;
चलो ये शिकवा भी दूर हुआ कि;
किसी ने साथ नहीं दिया।
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गिला शिकवा शायरी
दिल से मिले दिल तो सजा देते है लोग;
प्यार के जज्बातों को डुबा देते है लोग;
दो इँसानो को मिलते कैसे देख सकते है;
जब साथ बैठे दो परिन्दो को भी उठा देते है लोग...
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गिला शिकवा शायरी
कोई उम्मीद बर नहीं आती;
कोई सूरत नज़र नहीं आती;
मौत का एक दिन मु'अय्यन है;
नींद क्यों रात भर नहीं आती।
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गिला शिकवा शायरी
जो आँसू दिल में गिरते हैं वो आँखों में नहीं रहते;
बहुत से हर्फ़ ऐसे हैं जो लफ़्ज़ों में नहीं रहते;
किताबों में लिखे जाते हैं दुनिया भर के अफ़साने;
मगर जिन में हक़ीक़त हो वो किताबों में नहीं रहते।
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गिला शिकवा शायरी
मोहब्बत से वो देखते हैं सभी को,
बस हम पर कभी ये इनायत नहीं होती;
मैं तो शीशा हूँ टूटना मेरी फ़ितरत है,
इसलिए मुझे पत्थरों से कोई शिकायत नहीं होती।
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गिला शिकवा शायरी
उनके होंठों पे मेरा नाम जब आया होगा;
ख़ुद को रुसवाई से फिर कैसे बचाया होगा;
सुन के फ़साना औरों से मेरी बर्बादी का;
क्या उनको अपना सितम न याद आय होगा?
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गिला शिकवा शायरी
दिलों को खरीदने वाले लोग हज़ार मिल जायेंगे;
तुमको दगा देने वाले बार-बार मिल जायेंगे;
मिलेगा न हमें तुम जैसा कोई;
मिलने को तो लोग हमें बेशुमार मिल जायेंगे!
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गिला शिकवा शायरी
रात क्या ढली सितारे चले गए;
गैरों से क्या शिकायत जब हमारे चले गए;
जीत सकते थे हम भी इश्क़ की बाज़ी;
पर उनको जिताने की धुन में हम हारे चले गए।
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गिला शिकवा शायरी
मेरे प्यार को बहकावा समझ लिया उन्होंने;
मेरे एहसास को पछतावा समझ लिया उन्होंने;
मैं रोती रही उनकी याद में पर हुआ ये कि;
मुझे ही बेवफ़ा समझ लिया उन्होंने।
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गिला शिकवा शायरी
एक दिन हम तुम से दूर हो जायेंगे;
अंधेरी गलियों में यूं ही खो जायेंगे;
आज हमारी फिक्र नहीं है आपको;
कल से हम भी बेफिक्र हो जायेंगे।
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गिला शिकवा शायरी
सजा लबों से अपने सुनाई तो होती;
रूठ जाने की वजह बताई तो होती;
बेच देता मैं खुद को तुम्हारे लिए;
कभी खरीदने की चाहत जताई तो होती।
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गिला शिकवा शायरी
तूने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया;
कितने रिश्ते तेरी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ;
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है;
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
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गिला शिकवा शायरी
वो, जिनके घर मेहमानों का आना-जाना होता है;
उनको घर का हर कमरा हर रोज़ सजाना होता है;
जिस देहरी की क़िस्मत में स्वागत या वंदनवार न हों;
उस चौखट के भीतर केवल इक तहख़ाना होता है।
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गिला शिकवा शायरी
तुझे मोहब्बत करना नहीं आता;
मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ और नहीं आता;
ज़िन्दगी गुजारने के बस दो ही तरीके हैं;
एक तुझे नहीं आता और एक मुझे नहीं आता।
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गिला शिकवा शायरी
कोई जुदा हो गया कोई ख़फ़ा हो गया;
यह दुनिया के लोगों को क्या हो गया;
जिस सजदे में मुझे उस को माँगना था रब से;
अफ़सोस वही सजदा क़ज़ा हो गया।
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गिला शिकवा शायरी
एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा;
बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगा;
टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने;
अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगा।
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गिला शिकवा शायरी
मिला वो भी नहीं करते, मिला हम भी नहीं करते;
वफ़ा वो भी नहीं करते, वफ़ा हम भी नहीं करते;
उन्हें रुस्वाई का दुःख, हमें तन्हाई का दर्द;
गिला वो भी नहीं करते शिकवा हम भी नहीं करते।
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गिला शिकवा शायरी
हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता है;
शिकायत करो तो उनको मजाक लगता है;
कितनी शिद्दत से उन्हें याद करते हैं हम;
और एक वो हैं जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है।
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गिला शिकवा शायरी
अपना समझा तो कह दिया वरना;
गैरों से तो कोई गिला नहीं होता;
कुछ न कुछ पहले खोना पड़ता है;
मुफ्त में तो कोई तज़ुर्बा नहीं मिलता।
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गिला शिकवा शायरी
किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नही;
किसी को दिल में बसाना कोई खता तो नही;
गुनाह हो यह ज़माने की नजर में तो क्या;
यह ज़माने वाले कोई खुदा तो नही।
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गिला शिकवा शायरी
वो रास्ते में पलटा तो रुक गया मैं भी;
फिर कदम, कदम न रहे, सफर, सफर न रहा;
नज़रों से गिराया उसको कुछ इस तरह हम ने;
कि वो खुद अपनी नज़रों में मुताबिर न रहा।
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गिला शिकवा शायरी
तुम आज हँसते हो हंस लो मुझ पर ये आज़माइश ना बार-बार होगी;
मैं जानता हूं मुझे ख़बर है कि कल फ़ज़ा ख़ुशगवार होगी;
रहे मोहब्बत में ज़िन्दगी भर, रहेगी ये कशमकश बराबर;
ना तुमको कुर्बत में जीत होगी ना मुझको फुर्कत में हार होगी;
हज़ार उल्फ़त सताए लेकिन मेरे इरादों से है ये मुमकिन;
अगर शराफ़त को तुमने छेड़ा तो ज़िन्दगी तुम पे वार होगी।
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गिला शिकवा शायरी
तुझसे दोस्ती करने का हिसाब ना आया;
मेरे किसी भी सवाल का जवाब ना आया;
हम तो जागते रहे तेरे ही ख्यालों में;
और तुझे सो कर भी हमारा ख्वाब ना आया।
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गिला शिकवा शायरी
मंजिल भी उसकी थी, रास्ता भी उसका था;
एक मैं अकेला था, बाकी काफिला भी उसका था;
साथ-साथ चलने की सोच भी उसकी थी;
फ़िर रास्ता बदलने का फ़ैसला भी उसका था।
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गिला शिकवा शायरी
सपना हैं आँखों में मगर नींद नहीं है;
दिल तो है जिस्म में मगर धड़कन नहीं है;
कैसे बयाँ करें हम अपना हाल-ए-दिल;
जी तो रहें हैं मगर ये ज़िंदगी नहीं है।
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गिला शिकवा शायरी
मोहब्बत मुक़द्दर है एक ख्वाब नहीं;
ये वो अदा है जिसमे सब कामयाब नहीं;
जिन्हें पनाह मिली उन्हें उँगलियों पर गिन लो;
मगर जो फना हुए उनका कोई हिसाब नहीं।
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गिला शिकवा शायरी
ज़िंदगी हमारी यूँ सितम हो गयी;
ख़ुशी ना जाने कहाँ दफ़न हो गयी;
बहुत लिखी खुदा ने लोगों की मोहब्बत;
जब आयी हमारी बारी तो स्याही ही ख़त्म हो गयी।
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गिला शिकवा शायरी
भुला के मुझको अगर तुम भी हो सलामत;
तो भुला के तुझको संभलना मुझे भी आता है;
नहीं है मेरी फितरत में ये आदत वरना;
तेरी तरह बदलना मुझे भी आता है।
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गिला शिकवा शायरी
जब प्यार नहीं है तो भुला क्यों नहीं देते;
ख़त किसलिए रखे हैं जला क्यों नहीं देते;
किस वास्ते लिखा है हथेली पे मेरा नाम;
मैं हर्फ़ ग़लत हूँ तो मिटा क्यों नहीं देते।
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गिला शिकवा शायरी
ज़िंदगी से चले हैं अब इल्ज़ाम लेकर;
बहुत जी चुके हैं अब उनका नाम लेकर;
अकेले बातें करेंगे अब वो इन सितारों से;
अब चले जायेंगे उन्हें यह सारा आसमान देकर।
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गिला शिकवा शायरी
दर्द ही सही मेरे इश्क़ का इनाम तो आया;
खाली ही सही होठों तक जाम तो आया;
मैं हूँ बेवफा सबको बताया उसने;
यूँ ही सही चलो उसके लबों पर मेरा नाम तो आया।
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गिला शिकवा शायरी
दुनिया ने हम पे जब कोई इल्ज़ाम रख दिया;
हमने मुक़ाबिल उसके तेरा नाम रख दिया;
इक ख़ास हद पे आ गई जब तेरी बेरुख़ी;
नाम उसका हमने गर्दिशे-अय्याम रख दिया।
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गिला शिकवा शायरी
समझा न कोई हमारे दिल की बात को;
दर्द दुनिया ने बिना सोचे ही दे दिया;
जो सह गए हर दर्द को हम चुपके से;
तो हमको ही पत्थर दिल कह दिया।
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गिला शिकवा शायरी
आग से सीख लिया हम ने यह करीना भी;
बुझ भी जाना पर बड़ी देर तक सुलगते रहना;
जाने किस उम्र में जाएगी यह आदत अपनी;
रूठना उससे और औरों से उलझते रहना।
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गिला शिकवा शायरी
दस्तूर-ए-उल्फ़त वो निभाते नहीं हैं;
जनाब महफ़िल में आते ही नहीं हैं;
हम सजाते हैं महफ़िल हर शाम;
एक वो हैं जो कभी तशरीफ़ लाते ही नहीं हैं!
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गिला शिकवा शायरी
तुम ने चाहा ही नहीं हालात बदल सकते थे;
तेरे आाँसू मेरी आँखों से निकल सकते थे;
तुम तो ठहरे रहे झील के पानी की तरह;
दरिया बनते तो बहुत दूर निकल सकते थे।
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गिला शिकवा शायरी
मुद्दत से कोई शख्स रुलाने नहीं आया;
जलती हुई आँखों को बुझाने नहीं आया;
जो कहता था कि रहेंगे उम्र भर साथ तेरे;
अब रूठे हैं तो कोई मनाने नहीं आया।
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गिला शिकवा शायरी
ना जाने कौन सी बात पर वो रूठ गयी है;
मेरी सहने की हदें भी अब टूट गयी हैं;
कहती थी जो कि कभी नहीं रूठेगी मुझसे;
आज वो अपनी ही बातें भूल गयी है।
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गिला शिकवा शायरी
मोहब्बत का मेरा यह सफर आख़िरी है;
ये कागज, ये कलम, ये गजल आख़िरी है;
फिर ना मिलेंगे अब तुमसे हम कभी;
क्योंकि तेरे दर्द का अब ये सितम आख़िरी है।
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गिला शिकवा शायरी
उन्हें एहसास हुआ है इश्क़ का हमें रुलाने के बाद;
अब हम पर प्यार आया है दूर चले जाने के बाद;
क्या बताएं किस कदर बेवफ़ा है यह दुनिया;
यहाँ लोग भूल जाते ही किसी को दफनाने के बाद।
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गिला शिकवा शायरी
कहाँ से लाऊँ हुनर उसे मनाने का;
कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का;
मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी;
क्योंकि जुर्म मेरा था उनसे दिल लगाने का।
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गिला शिकवा शायरी
वो भूल गए कि उन्हें हसाया किसने था;
जब वो रूठे थे तो मनाया किसने था;
वो कहते हैं वो बहुत अच्छे है शायद;
वो भूल गए कि उन्हें यह बताया किसने था।
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गिला शिकवा शायरी
रास्ते में पत्थरों की कमी नहीं है;
मन में टूटे सपनो की कमी नहीं है;
चाहत है उनको अपना बनाने की मगर;
मगर उनके पास अपनों की कमी नहीं है।
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गिला शिकवा शायरी
ज़ख़्म देने की आदत नहीं हमको;
हम तो आज भी वो एहसास रखते हैं;
बदले बदले से तो आप हैं जनाब;
जो हमारे अलावा सबको याद रखते हैं।
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गिला शिकवा शायरी
मानते हैं सारा जहाँ तेरे साथ होगा;
खुशी का हर लम्हा तेरे पास होगा;
जिस दिन टूट जाएँगी साँसे हमारी;
उस दिन तुझे हमारी कमी का एहसास होगा।
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गिला शिकवा शायरी
कदम कदम पे बहारों ने साथ छोड़ दिया;
पड़ा जब वक़्त तब अपनों ने साथ छोड़ दिया;
खायी थी कसम इन सितारों ने साथ देने की;
सुबह होते देखा तो इन सितारों ने साथ छोड़ दिया।
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गिला शिकवा शायरी
मेरा इल्ज़ाम है तुझ पर कि तू बेवफा था;
दोष तो तेरा था मगर तू हमेशा ही खफा था;
ज़िन्दगी की इस किताब में बयान है तेरी मेरी कहानी;
यादों से सराबोर उसका एक एक सफा था।
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गिला शिकवा शायरी
वक़्त बदलता है ज़िन्दगी के साथ;
ज़िन्दगी बदलती है वक़्त के साथ;
वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ;
बस अपने बदल जाते हैं वक़्त के साथ
|
गिला शिकवा शायरी
कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था;
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था;
सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है;
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था।
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गिला शिकवा शायरी
वादा करके निभाना भूल जाते हैं;
लगा कर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैं;
ऐसी आदत हो गयी है अब तो सनम की;
रुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं।
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गिला शिकवा शायरी
गर्मिये हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं;
हम चिरागों की तरह शाम से जल जाते हैं;
शमा जलती है जिस आग में नुमाइश के लिए;
हम उसी आग में गुमनाम से जल जाते हैं;
जब भी आता है तेरा नाम मेरे नाम के साथ;
जाने क्यों लोग मेरे नाम से जल जाते हैं।
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गिला शिकवा शायरी
किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह;
वो आशना भी मिला हमसे अजनबी की तरह;
किसे ख़बर थी बढ़ेगी कुछ और तारीकी;
छुपेगा वो किसी बदली में चाँदनी की तरह।
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गिला शिकवा शायरी
ज़िंदा रहे तो क्या है, जो मर जायें हम तो क्या;
दुनिया से ख़ामोशी से गुज़र जायें हम तो क्या;
हस्ती ही अपनी क्या है ज़माने के सामने;
एक ख्वाब हैं जहान में बिखर जायें हम तो क्या।
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गिला शिकवा शायरी
सब फ़साने हैं दुनियादारी के,
किस से किस का सुकून लूटा है;
सच तो ये है कि इस ज़माने में,
मैं भी झूठा हूँ तू भी झूठा है।
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गिला शिकवा शायरी
वादा करके वो निभाना भूल जाते हैं;
लगा कर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैं;
ऐसी आदत हो गयी है अब तो उस हरजाई की;
रुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं।
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गिला शिकवा शायरी
हमने सोचा कि सिर्फ हम ही उन्हें चाहते हैं;
मगर उनके चाहने वालों का तो काफ़िला निकला;
मैंने सोचा कि शिकायत करू खुदा से;
मगर वह भी उनके चाहने वालों में निकला!
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गिला शिकवा शायरी
मुझे सता के वो मेरी दुआएं लेता है;
उसे खबर है कि मुझे बद्दुआ नहीं आती;
सब कुछ सौप दिया उसे हमने;
फिर भी वो कहता है, हमें वफा नहीं आती!
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गिला शिकवा शायरी
उल्फत में अक्सर ऐसा होता है;
आँखे हंसती हैं और दिल रोता है;
मानते हो तुम जिसे मंजिल अपनी;
हमसफर उनका कोई और होता है!
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गिला शिकवा शायरी
नज़र चाहती है दीदार करना;
दिल चाहता है प्यार करना;
क्या बतायें इस दिल का आलम;
नसीब में लिखा है इंतजार करना!
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गिला शिकवा शायरी
दीवाने तेरे हैं, इस बात से इनकार नहीं;
कैसे कहें कि हमें आपसे प्यार नहीं;
कुछ तो कसूर है आपकी निगाहों का;
हम अकेले तो गुनेहगार नहीं।
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गिला शिकवा शायरी
शिकायत है उन्हें कि हमें मोहब्बत करना नही आता;
शिकवा तो इस दिल को भी है;
पर इसे शिकायत करना नहीं आता।
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गिला शिकवा शायरी
खुदा जाने, प्यार का दस्तूर क्या होता है;
जिन्हें अपना बनाया, वो न जाने क्यों दूर होता है;
कहते हैं कि मिलते नहीं ज़मीन आसमान;
फिर न जाने क्यूँ, आसमान ज़मीन का सरूर होता है!
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गिला शिकवा शायरी
एक सिलसिले की उम्मीद थी जिनसे;
वही फ़ासले बनाते गये!
हम तो पास आने की कोशिश में थे;
ना जाने क्यूँ वो हमसे दूरियाँ बढ़ाते गये!
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गिला शिकवा शायरी
हमें उनसे कोई सिकायत नहीं;
शायद हमारी किस्मत में चाहत नहीं!
मेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया;
पूछा तो कहा, 'ये मेरी लिखावट नहीं'!
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गिला शिकवा शायरी
हमें उनसे कोई शिकायत नहीं;
शायद हमारी किस्मत में चाहत नहीं!
मेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया;
पूछा तो कहा, "ये मेरी लिखावट नहीं"!
|
गिला शिकवा शायरी
फलक से चाँद उतारा गया;
मेरी आस का एक सहारा गया!
मैं दो बूँद पानी तरसती रही;
मेरे होंठों से ज़हर गुज़ारा गया!
|
गिला शिकवा शायरी
इन आंखो मे आंसू आये न होते;
अगर वो पीछे मुडकर मुस्कुराये न होते!
उनके जाने के बाद बस येही गम रहेगा;
कि काश वो हमारी ज़िन्दगी मे दूबारा आये न होते!
|
गिला शिकवा शायरी
भूल गए या, भुलाना चाहते हो?
दूर कर दिया, या जाना चाहते हो?
आजमा लिया, या आजमाना चाहते हो?
मैसेज कर रहे हो या अभी और पैसे बचाना चाहते हो?
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गिला शिकवा शायरी
तकदीर बनाने वाले, तूने भी हद कर दी;
तकदीर में किसी और का नाम लिखा था;
और दिल में चाहत किसी और की भर दी!
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गिला शिकवा शायरी
अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं;
किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया;
तो किसी ने अपना बनाकर 'वक़्त' गुजार लिया!
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गिला शिकवा शायरी
तरसते थे जो मिलने को हमसे कभी!
आज वो क्यों मेरे साए से कतराते हैं!
हम भी वही हैं दिल भी वही है!
न जाने क्यों लोग बदल जाते हैं!
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गिला शिकवा शायरी
हर शाम कह जाती है एक कहानी !
हर सुबह ले आती है एक नई कहानी !
रास्ते तो बदलते है हर दिन लेकिन !
मंजिल रह जाती है वही पुरानी !
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गिला शिकवा शायरी
इंतज़ार करते करते वक़्त क्यों गुजरता नहीं!
सब हैं यहाँ मगर कोई अपना नहीं!
दूर नहीं पर फिर भी वो पास नहीं!
है दिल में कहीं पर आँखों से दूर कहीं!
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गिला शिकवा शायरी
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है!
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है!
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद!
फिर भी हर मोड़ पर उसी का इन्तज़ार क्यों है!
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गिला शिकवा शायरी
इस कदर हम यार को मनाने निकले!
उसकी चाहत के हम दिवाने निकले!
जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा!
उसके होठों से वक़्त न होने के बहाने निकले!
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गिला शिकवा शायरी
मोहब्बत नहीं है कोई किताबों की बाते!
समझोगे जब रो कर कुछ काटोगे रातें!
जो चोरी हो गया तो पता चला दिल था हमारा!
करते थे हम भी कभी किताबों की बाते!
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गिला शिकवा शायरी
दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे!
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे!
वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का!
और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे!
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