उर्दू शायरी
कुछ इतने दिए हसरते-दीदार ने धोखे वो सामने बैठे हैं, यकीं हमको नहीं है
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उर्दू शायरी
रात भर चांद तारों की बात होगी, यूं हम दोनों की मुलाकात होगी। ज़र्रा-ज़र्रा मैं फिर बिखर जाऊंगा, रेशा-रेशा तू मेरे साथ होगी।
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उर्दू शायरी
अनजान अपने आप से वह शख्स रह गया जिसने उमर गुज़ार दी औरों की फ़िक्र में
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उर्दू शायरी
नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूंढिए इस शहर में तो सबसे मुलाक़ात हो गयी
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उर्दू शायरी
ये एक पेड़ है आ इससे मिलके रो लें हम यहां से तेरे - मेरे रास्ते बदलते हैं
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उर्दू शायरी
जली हुई रोटीयों पर बहोत शोर मचाया तुमने गालीब, मां की जली हुई उंगलीया देख लेते तो भुख ही मिट जाती.!!!
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उर्दू शायरी
दुश्मनों के खेमे में चल रही थी मेरे कत्ल की साजिश, मैं पहुँचा तो वो वोले यार तेरी उम्र बहुत ही लंबी है..
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उर्दू शायरी
इक फूल है गुलाब का आज उनके हाथ में धड़का मुझे ये है कि किसी का जिगर न हो
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उर्दू शायरी
सारी दुनियां के हैं वो मेरे सिवा मैंने दुनियां छोड़ दी जिनके लिए
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उर्दू शायरी
आलम में अगर इश्क़ का बाज़ार न होता कोई किसी बंदे का ख़रीदार न होता
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उर्दू शायरी
मसीहा ने तिरे बीमार को देखा तो फ़रमाया न ये जीने के क़ाबिल है न ये मरने के क़ाबिल है
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उर्दू शायरी
तुझे तो वादा-ए-दीदार हम से करना था ये क्या किया कि जहां को उमीद-वार किया
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उर्दू शायरी
हर इक से कहते हैं क्या 'दाग़' बेवफ़ा निकला ये पूछे उन से कोई वो ग़ुलाम किस का था
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उर्दू शायरी
कोई तो हैं मेरे अंदर मुझको सम्हाले हुए कि बेकरार होकर भी बरक़रार हूं मैं
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उर्दू शायरी
मंजर का पसमंजर देख सहरा बीच समंदर देख ! एक पल अपनी ऑंखें मूंद एक पल अपने अंदर देख !
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उर्दू शायरी
ताज्जुब न कीजिएगा गर कोई दुश्मन भी आपकी खैरियत पूछ जाए… ये वो दौर है जहाँ, हर मुलाकात में मकसद छुपे होते है"..
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उर्दू शायरी
पता नहीं कि मेरे बाद उन पे क्या गुज़री मैं चंद ख़्वाब ज़माने में छोड़ आया था
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उर्दू शायरी
हमने इंसानों के दुःख-दर्द का हल ढूंड लिया क्या बुरा है जो ये अफवाह उड़ा दी जाए
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उर्दू शायरी
सस्ते दामों ले तो आते लेकिन दिल था भर आया जाने किसका नाम खुदा था पीतल के गुलदानों पर
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उर्दू शायरी
फ़क़त तुझ में अनासर ने अजब तरकीब पाई है बदन शफ़्फ़ाफ़, शाने गोल, क़द मौज़ूं, कमर पतली
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उर्दू शायरी
अगर दर्दे-मुहब्बत से न इन्साँ आशना होता, न मरने का अलम होता, न जीने का मजा होता।
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उर्दू शायरी
एहसान किसी का वो रखते नहीं ..... मेरा भी लौटा दिया .... जितना खाया था नमक मेरा मेरे ही जख्मों पर लगा दिया....
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उर्दू शायरी
सच तो ये है कि तभी मिलना मिलाना होगा कुछ मुझे भूलना कुछ तुझको भुलाना होगा
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उर्दू शायरी
यहां तक आते आते सूख जाती हैं सभी नदियां मुझे मालूम है पानी कहां ठहरा हुआ होगा
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उर्दू शायरी
बेरुख़ी इससे बड़ी और भला क्या होगी एक मुद्दत से हमें उसने सताया भी नहीं
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उर्दू शायरी
जहाँ रहेगा वहीँ रौशनी लुटायेगा किसी चिराग़ का अपना मकां नहीं होता
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उर्दू शायरी
मरहम न सही कोई ज़ख्म ही दे दो ऐ ज़ालिम, महसूस तो हो कि तुम हमें अभी भूले नहीं हो।
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उर्दू शायरी
जब भी आता है मेरा नाम तेरे नाम के साथ जाने क्यूं लोग मेरे नाम से जल जाते हैं
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उर्दू शायरी
जब मिली आंख होश खो बैठे कितने हाज़िर-जवाब हैं हम लोग
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उर्दू शायरी
अब नज़्अ का आलम है मुझ पर, तुम अपनी मुहब्बत वापस लो जब कश्ती डूबने लगती है, तो बोझ उतारा करते हैं
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उर्दू शायरी
अपनी हालात का ख़ुद अहसास नहीं है मुझको मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूं मैं
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उर्दू शायरी
तुम्हें अपना कहने की तमन्ना थी दिल में.. लबों तक आते आते, तुम ग़ैर हो गए.!
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उर्दू शायरी
नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर, रिश्ते निभाना बड़ा नाज़ुक सा हुनर होता है...
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उर्दू शायरी
इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाए क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ तू भी हीरे से बन गया पत्थर हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाए
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उर्दू शायरी
''यूँ प्यार नही छुपता पलको को झुकाने से, आँखो के लिफाफो मे तहरीर चमकती है..''
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उर्दू शायरी
"जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!"
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उर्दू शायरी
जो मिल गया उसे तक़दीर का लिखा कहिये जो खो गया उसे क़िस्मत का फ़ैसला कहिये.!!
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उर्दू शायरी
मेरे यार ज़रा गौर से देख में हारा तो नहीं?? मेरा सर भी तो पड़ा है मेरी दस्तार के साथ...
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उर्दू शायरी
ये घनी छाँव भी साज़िश है किसी दुश्मन की मुझे मालूम था तुम लोग ठहर जाओगे
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उर्दू शायरी
तुमसे टूटेगा न इस शब् की सियाही का तिलिस्म मैंने पहले ही कहा था कि जला लो मुझको
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उर्दू शायरी
किसको बताएं कब से हम ज़िन्दगी के राही फूलों की आरज़ू में काँटों पे चल रहे हैं
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उर्दू शायरी
कोई मंज़िल न रास्ता महफूज़ सबको रक्खे मेरा ख़ुदा महफूज़
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उर्दू शायरी
गुरूर हुस्न पे इतना ही कर बुरा न लगे तू सिर्फ़ हुस्न की देवी लगे खुदा न लगे
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उर्दू शायरी
पढ़े जो गौर से तारीख के वरक हमने, आंधिओं में भी जलते हुए चराग मिले।
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उर्दू शायरी
लबों पे घर से तबस्सुम सजा के निकलूँगा मैं आज फिर कोई चेहरा लगा के निकलूँगा
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उर्दू शायरी
राह की मोड़ में लगता है अकेला कोई कोई तुमसा न हो नज़दीक तो जाकर देखो
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उर्दू शायरी
सुना है वह भी भटकता रहा हमारी तरह मिला न दूर तलक कोई रास्ता उसको
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उर्दू शायरी
ख़बर न थी उसे इन खोखली ज़मीनों की वह सिर्फ़ राह को हमवार [एकसार] देखकर ख़ुश था
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उर्दू शायरी
न जाने क्या हुआ इन बस्तियों को हर इक मंज़र निगाहों पर गिराँ [भारी] है
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उर्दू शायरी
बस्तियों में दश्त का मंज़र मिला जो मिला इस शहर में बेघर मिला
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उर्दू शायरी
एक शीशे की इमारत हूं मैं टूट जाने के बहाने हैं बहुत
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उर्दू शायरी
हमसे क्या पूछते हो हमको किधर जाना है हम तो ख़ुशबू हैं बहरहाल बिखर जाना है
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उर्दू शायरी
जाने कितनी उड़ान बाक़ी है इस परिन्दे में जान बाक़ी है
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उर्दू शायरी
ख़ुशियाँ तो उँगलियों पे कई बार गिन चुके पर ग़म हैं बेशुमार, ग़मों का हिसाब क्या
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उर्दू शायरी
रोज़ खाली हाथ जब घर लौट कर जाता हूँ मैं मुस्करा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं
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उर्दू शायरी
अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता कभी जान सदक़े होती कभी दिल निसार होता
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उर्दू शायरी
तेरी सूरत से किसी की नहीं मिलती सूरत हम जहाँ में तिरी तस्वीर लिए फिरते हैं
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