टीचर्स डे

टीचर्स डे

गुरू ब्रम्हा, गुरू विष्णु, गुरू देवो महेश्वरा गुरू साक्षात परम्ब्रम्ह तस्मय श्री गुरूवनमः हैप्पी टीचर्स डे

टीचर्स डे

गुरू गोविंद दोउ खड़े, काके लागू पाव बलिहारी गुरू आपने, गोविंद दियो बताय शिक्षक दिवस की अशेष शुभकामनाएं …

टीचर्स डे

हम न होते तो किताबें कौन पढ़ता आपके खिले चेहरे को कमल कौन कहता यह तो करिश्मा है शिक्षक दिवस का व्रना पत्थर को ताजमहल कौन कहता।

टीचर्स डे

गुमनामी के अंधेरे में था पहचान बना दिया दुनिया के गम से मुझे अनजान बना दिया उनकी ऐसी कृपा हुई गुरू ने मुझे एक अच्छा इंसान बना दिया

टीचर्स डे

मां बाप की मूरत है गुरू कलयुग में भगवान की सूरत है गुरू अक्षर ज्ञान ही नहीं गुरू ने सिखाया जीवन ज्ञान गुरूमंत्र को आत्मसात हो जाओ भवसागर से पार

टीचर्स डे

गुरू गुण की खान है, सबको दियो बताय हिंदु मुस्लिम सिख इसाई सबको ज्ञान की पाठ पढ़ाए तीन लोक नौ खण्ड में गुरू से बड़ा ना कोए करता करै न कर सकै गुरू करै सब होए

टीचर्स डे

गुरूदेव के श्रीचरणों में श्रद्धा सुमन संग वंदन जिनके कृपा नीर से जीवन हुआ चंदन धरती कहती, अंबर कहते कहती यही तराना गुरू आप ही वो पावन नूर हैं जिनसे रौशन हुआ जमाना

टीचर्स डे

हे गुरुवर ! हे आचार्य ! हे शिक्षक प्रवर! आप अपनी गरिमा को पुनर्प्रतिष्ठत करें ; माँ भारती की झोली सुख-समृद्धि से भरें| जन जन की तरफ से आपको ये पंक्तियाँ समर्पित है-

टीचर्स डे

हे जनमन के नायक , राष्ट्र के उन्नायक आपको शत शत नमन | आप देश और समाज की तरक्की के एकमात्र आधार है| आपकी महिमा अपरंपार है

टीचर्स डे

पाप व लालच से डरने कीधर्मीय सीख सिखाता शिक्षक,देश के लिए मर मिटने कीबलिदानी राह दिखाता शिक्षक,प्रकाशपुंज का आधार बनकरकर्तव्य अपना निभाता शिक्षक,प्रेम सरिता की बनकर धारानैया पार लगाता शिक्षक।

टीचर्स डे

आदर्शों की मिसाल बनकरबाल जीवन संवारता शिक्षक,सदाबहार फूल-सा खिलकरमहकता और महकाता शिक्षक.

टीचर्स डे

जीवन को चलते रहना है , लौ इसकी झिलमिल जलती है |जीवन के हर चौराहे पर, बस कमी तुम्हारी खलती है ||जीवन की कठिन-सी राहों पर,आशीष तुम्हारा चाहूँगा|जो राह दिखाई है तुमने,मैं औरों को दिखलाऊंगा ||

टीचर्स डे

मुखमंडल पर अंगार कभी ,आँखों में निश्छल प्यार कभी|अंतर में माँ की ममता थी,सोनार कभी, लोहार कभी ||

टीचर्स डे

परोपकार, भाईचारा,मानवता, हमको सिखलाई |सच्चाई की है दी मिसाल ,है सहानुभूति क्या दिखलाई ||कान पकड़ उठक- बैठक , थी छड़ियों की बरसात हुयी |समझ न पाया उस क्षण मैं, अनुशासन की शुरुआत हुयी ||

टीचर्स डे

सूखी डाली को हरियाली , बेजान को जीवनदान दिया |काले अंधियारे जीवन को , सौ सूरज से धनवान किया ||

टीचर्स डे

पदचिन्हों के पीछे-पीछे,आजीवन चलता जाऊँगा |जो राह दिखाई है तुमने ,मैं औरों को दिखलाऊंगा ||

टीचर्स डे

शिक्षक माझी नाव किनारा,शिक्षक डूबते को सहारा,शिक्षक का सदा ही कहना,श्रम लगन है सच्चा गहना.

टीचर्स डे

शिक्षक न देखे जात-पात,शिक्षक न करता पक्ष-पात,निर्धन हो या हो धनवान,शिक्षक को सब एक सामान.

टीचर्स डे

शिक्षक है शिक्षा का सागर,शिक्षक बांटें ज्ञान बराबर,शिक्षक मंदिर जैसी पूजा,माता-पिता का नाम है दूजा,प्यासे को जैसे मिलता पानी,शिक्षक है वो ही जिंदगानी.

टीचर्स डे

जीवन की प्रथम शिक्षक माँ से लेकर आजतक जाने-अनजाने जिन्होंने भी ज़रा भी कुछ सिखाया उन सब "गुरु-चरणों" में मेरा शीश सादर विनत है !