हुस्न

हुस्न शायरी

तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ कुछ कहते हुए भी डरता हूँ कहीं भूल से तू ना समझ बैठे की मैं तुझसे मोहब्बत करता हूँ.

हुस्न शायरी

जिन्दगी बैठी थी अपने हुस्न पै फूली हुई,मौत ने आते ही सारा रंग फीका कर दिया।

हुस्न शायरी

क्यूँ रोज़ मुझसे मिलता , भोला सा एक चेहरावो हुस्न की बला सा ,नज़रें गड़ाए चेहरा

हुस्न शायरी

हुस्न को बे-हिजाब होना था शौक़ को कामयाब होना था हिज्र में कैफ़-ए-इज़्तराब न पूछ ख़ून-ए-दिल भी शराब होना था तेरे जल्वों में घिर गया आख़िर ज़र्रे को आफ़ताब होना था कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी कुछ मुझे भी ख़राब होना था

हुस्न शायरी

कमसिनी का हुस्न था वो, ये जवानी की बहार पहले भी रुख पर यही तिल था मगर क़ातिल न था

हुस्न शायरी

दिल्लगी नहीं शायरी जो किसी हुस्न पर बर्बाद करें,यह तो एक शमा है जो उस नूर का पयाम है.

हुस्न शायरी

न कर शायरी को बदनाम हुस्न का नाम देकरयह तो ख़ुदा का मुक़ाम है.जिस्म फ़रोशी नहीं शायरी यह तो रूह का पयाम है.

हुस्न शायरी

तुम सामने बैठी रहो,तुम्हारा हुस्न पीता रहूँ।मौत आ गयी जो दरमियाँ,मरकर भी मैं जीता रहूँ।

हुस्न शायरी

तराशा है उनको बड़ी फुर्सत सेजुल्फे जो उनकी बादल की याद दिला दे नज़र भर देख ले जो वोह किसी कोनेकदिल इंसान की भी नियत बिगड़ जाए.

हुस्न शायरी

मुझ को मालूम है तू हुस्न में लासानी हैसारी दुनिया तेरी सौदाई है दीवानी हैतेरी आँखों में है कैफियत ए जाम ए मयनाबसौ बहारों का है आईना तेरा हुस्न ए शबाब

हुस्न शायरी

पलट के देख ज़ालिम, तमन्ना हम भी रखते हैं;हुस्न तुम रखती हो, तो जवानी हम भी रखते हैं;गहराई तुम रखती हो तो लंबाई हम भी रखते हैं!

हुस्न शायरी

ये हुस्न तेरा ये इश्क़ मेरारंगीन तो है बदनाम सहीमुझ पर तो कई इल्ज़ाम लगेतुझ पर भी कोई इल्ज़ाम सहीइस रात की निखरी रंगत कोकुछ और निखर जाने दे ज़रानज़रों को बहक जाने दे ज़राज़ुल्फ़ों को बिखर जाने दे ज़राकुछ देर की ही तस्कीन सहीकुछ देर का ही आराम सही

हुस्न शायरी

वो हुस्न जिसको देख के कुछ भी कहा न जाएदिल की लगी उसी से कहे बिन रहा न जाए ।क्या जाने कब से दिल में है अपना बसा हुआऐसा नगर कि जिसमें कोई रास्ता न जाए ।

हुस्न शायरी

हुस्न अपने देखते हैं आईने में वो;और ये भी देखते हैं, कोई देखता न हो;कल चौदहवीं की रात थी, रात भर रहा चर्चा तेरा;कुछ ने कहा ये चाँद है, कुछ ने कहा चेहरा तेरा!

हुस्न शायरी

आपके हुस्न कि तारीफ में सोचता हूँ कुछ अल्फाज लिखूं ,लिखा ना हो जो अब तक किसी ने ऐसा कुछ आज लिखूं ....गीत लिखूं या गजल लिखूं ,शायरी लिखूं या कलाम लिखूं ,लिखने को बेचैन हूँ ,पर समझ ना आए क्या लिखूं ....

हुस्न शायरी

हुस्न पर जब भी मस्ती छाती है;तब शायरी पर बहार आती है!पीके महबूब के बदन की शराब;जिंदगी झूम-झूम जाती है!

हुस्न शायरी

अपने हुस्न पर मेरी जान गुरूर नहीं करती....अरे!!...कोई तो उसे बताओ...उस सा हसीं दुनिया में...कोई और नहीं,

हुस्न शायरी

ये उनके हुस्न की इन्तेहाँ थी....या हमारी दीवानगी का आलम... के...जब से उनको देखा है....देखते ही रह गये....

हुस्न शायरी

हुस्न वाले वफ़ा नहीं करते,इश्क वाले दगा नहीं करते,जुल्म करना तो इनकी आदत है,ये किसी का भला नहीं करते |

हुस्न शायरी

आँखों की भाषा पढना सीखो, खामोशी को चुपके से सुनना सीखो, शब्द बिना बोले लब से,जुबां की भाषा समझना सीखो.

हुस्न शायरी

हम से जाओ न बचाकर आँखें,यूँ गिराओ न उठाकर आँखें,ख़ामोशी दूर तलक फैली है,बोलिए कुछ तो उठाकर आँखें,अब हमें कोई तमन्ना ही नहीं,चैन से हैं उन्हें पाकर आँखें,मुझको जीने का सलीका आया,ज़िन्दगी तुझसे मिलाकर आँखें.

हुस्न शायरी

तेरी आँखों की नमकीन मस्तियाँ, तेरी हंसी की बेपरवा गुस्ताखियाँ, तेरी जुल्फों की लहराती अंगडाइयां नहीं भूलूंगा मैं,जब तक है जान, जब तक है जान.

हुस्न शायरी

जब भी चूम लेता हूँ इन हसीन आँखों को,सौ चिराग अंधेरे में झिलमिलाने लगते हैं,फूल क्या, चाँद क्या, सितारे क्या,सब रक़ीब कदमों पर सर झुकाने लगते हैं.

हुस्न शायरी

कुछ बातें हमसे सुना करो,कुच बातें हमसे किया करो,मुझे दिल की बात बता डालो,तुम होंठ ना अपने सिया करो,जो बात लबों तक ना आऐ,वो आँखों से कह दिया करो.

हुस्न शायरी

तेरी आँख से आंसू चुरा लेंगे;तेरा हर गम बिना जताये उठा लेंगे;नज़र ना लग जाये तुम्हें किसी की अय दोस्त;कुछ इस तरह से तुम्हें अपने दिल में हम छुपा लेंगे.

हुस्न शायरी

आँखों में आंसुओं की लकीर बन गई;जैसी चाहिए थी वैसी तकदीर बन गई;हमने तो सिर्फ रेत में उंगलियाँ घुमाई थी;गौर से देखा तो आपकी तस्वीर बन गई.

हुस्न शायरी

दिल की बातें,बता देती है आखें,धडकनों को जगा देती हैं ऑंखें,दिल पर चलता नही जादू,चेहरों का कभी,दिल को तो,दीवाना बना देती हैं ऑंखें.

हुस्न शायरी

छुप छुप के देखना अच्छा लगता हैदिल की धड़कन में उनको सुनना अच्छा लगता है,लफ्ज़ होठों पर लाने की ज़रुरत नहीं, आँखों आँखों में बाते करना अच्छा लगता है.

हुस्न शायरी

कभी शर्म की तस्वीर कभी मोहब्बत का पैगाम देती है, आशिकों के दिल पर ज़ख्म हज़ार करती है, अगर चाहे कोई चाहत को लाख छुपाना,आँखें वही हाल ऐ दिल बयान करती हैं.