शराब

शराब शायरी

तोहफे में मत गुलाब लेकर आना; मेरी क़ब्र पर मत चिराग लेकर आना; बहुत प्यासा हूँ अरसों से मैं; जब भी आना शराब लेकर आना।

शराब शायरी

बोतल पे बोतल पीने से क्या फायदा, मेरे दोस्त; रात गुजरेगी तो उतर जाएगी! पीना है तो सिर्फ एक बार किसी की बेवफाई पियो; प्यार की कसम, उम्र सारी नशें में गुजर जाएगी!

शराब शायरी

पीते थे शराब हम; उसने छुड़ाई अपनी कसम देकर; महफ़िल में गए थे हम; यारों ने पिलाई उसकी कसम देकर।

शराब शायरी

तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है; खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है; फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ दर्दे दिलवालों; यहाँ दर्द-ऐ-दिल की दावा पिलाई जाती है!

शराब शायरी

ऐ दोस्त बांध ले कफन मे व्हिस्की की बोतल, कब्र मेँ बैठकर पिया करेगे; इन लङकियो से तो मिली बेवफाई, अब चुड़ैलों से सेटिंग किया करेंगे!

शराब शायरी

नफरतों का असर देखो जानवरों का बटंवारा हो गया; गाय हिन्दू हो गयी और बकरा मुसलमान हो गया; मंदिरो मे हिंदू देखे, मस्जिदो में मुसलमान; शाम को जब मयखाने गया तब जाकर दिखे इन्सान!

शराब शायरी

मैं तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती; मैं जवाब बनता अगर तू सवाल होती; सब जानते हैं मैं नशा नही करता; मगर मैं भी पी लेता अगर तू शराब होती।

शराब शायरी

मैखाने मे आऊंगा मगर पिऊंगा नहीं, ऐ साकी; ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात नही रखती!

शराब शायरी

कुछ सही तो कुछ खराब कहते हैं; लोग हमें बिगड़ा हुआ नवाब कहते हैं; हम तो बदनाम हुए कुछ इस कदर; कि पानी भी पियें तो लोग शराब कहते हैं।

शराब शायरी

तनहइयो के आलम की ना बात करो जनाब; नहीं तो फिर बन उठेगा जाम और बदनाम होगी शराब।

शराब शायरी

बड़ी भूल हुई अनजाने में, ग़म छोड़ आये महखाने में; खा कर ठोकर ज़माने की, फिर लौट आये मयखाने में; मुझे देख कर मेरे ग़म बोले, बड़ी देर लगा दी आने में।