आइना

आइना शायरी

जब नमाज़-ए-मुहब्बत अता कीजिये, इस गैर को भी शरीक-ए-दुआ कीजियेआँख वाले ही नज़रें चुराते रहे, आइना क्यूँ ना हो, सामना कीजियेदरिया-ए-अश्क आ भी जाएँ तो क्या, चंद कतरे ही तो हैं, पी लिया कीजियेआप का घर सदा जगमगाता रहे, राह में भी दिया रख दिया कीजियेज़िन्दगी है आसान समंदर में सनम, साहिलों का भी कभी तजुर्बा कीजिए !!!!

आइना शायरी

दोस्त एक साहिल है तुफानो के लिए ,दोस्त एक आइना है अरमानो के लिए ,दोस्त एक महफ़िल है अंजानो के लिए ,दोस्ती एक ख्वाहिश है आप जैसे दोस्त को पाने के लिए !!

आइना शायरी

उम्र भर यही गलती करते रहे...धूल थी चेहरे पे,और हम आइना साफ करते रहे…

आइना शायरी

अभी इस तरफ़ न निगाह कर, मैं ग़ज़ल की पलकें संवार लूँमेरा लफ्ज़-लफ्ज़ हो आइना, तुझे आइने में उतार लूँ मैं तमाम दिन का थका हुआ, तू तमाम शब् का जगा हुआज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर, तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ

आइना शायरी

क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा,क्या सुरूप था कि देख आइना मचल उठाइस तरफ जमीन और आसमां उधर उठा,थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा,एक दिन मगर यहाँ,ऐसी कुछ हवा चली,लुट गयी कली-कली कि घुट गयी गली-गली.

आइना शायरी

सदियाँ हो गई हैं कि पत्थर तराश कर,इंसान जैसे रुप कोई यूं ढ़ूंढता रहा।""""""""ख्वाबों के जैसे हाथ में आइना आ गया,आइना कैसे कैसे हँसी ख्वाब पा गया।

आइना शायरी

प्यार को दो ही पल नसीब हुएइक मुलाकात, इक जुदाई हैआइना पत्थरों से टकरायाये सजा सादगी की पाई हैमेरी इक सांस भी नहीं मेरीज़िन्दगी किस कदर पराई है

आइना शायरी

रहने दे झूठे किस्से, मुझको क्या झुठलाता है,मैं हूँ आइना तेरा, मुझे क्या शर्माता है |बुझी सुबह है बाहर. अन्दर सुलगती रात है,ये कौन सा पानी है, ये कौन घाट है |

आइना शायरी

जिंदगी एक आइना है, यहाँ पर हर कुछ छुपाना पड़ता है|दिल में हो लाख गम फिर भी महफ़िल में मुस्कुराना पड़ता है |

आइना शायरी

ग़ज़ल एक ऐसा शफ़्फ़ाक़ आइना है जिसके हर शेर में एक नई तस्वीर मुस्कुराती है,सिर्फ़ हुस्न और इश्क़ की बात नहीं वह ज़िन्दगी के हर पहलू की बात भी समझाती है

आइना शायरी

आइना - ए - दिल टूटा सही,इसमें कोई सूरत तो है। ख़वाहिश उनकी ख़वाब सही, ख़वाब मगर खूबसूरत तो है ।।

आइना शायरी

वोह दिल का बुरा, न बेवफा थाबस, मुझ से यूंही बिछड़ गया थालफ़्ज़ों की हदों से मावरा थाअब किस से कहूँ वोह शख्स कहाँ था ?वोह मेरी ग़ज़ल का आइना थाहर शख्स यह बात जानता थाहर सिमत उसी का तज़करा थाहर दिल में वोह जैसे बस रहा था

आइना शायरी

नज़र में ज़ख़्म-ए-तबस्सुम छुपा छुपा के मिलाखफा तो था वो मगर मुझ से मुस्कुरा के मिलावो हमसफ़र के मेरे तंज़ पे हंसा था बोहतसितम ज़रीफ़ मुझे आइना दिखा के मिला

आइना शायरी

उलझनों में गुम हुआ फिरता है दर-दर आइना |झूठ को लेकिन दिखा सकता है पैकर आइना | शाम तक खुद को सलामत पा के अब हैरान है, पत्थरों के शहर में घूमा था दिन भर आइना |

आइना शायरी

हमारी जिन्दगी है एक कहानी की तरह ,हवा हूँ जिसमें मैं और तू पानी की तरह ,मेरी रुखों से तू दामन तो यूं छुड़ा के न जा ।मै आइना हूँ , मुझसे नजर चुडा के न जा ।

आइना शायरी

दुश्मनी इस तरह निभाते हैंदोस्त ही आइना दिखाते हैं।जिनके हाथों में सिर्फ खन्जर हैवो हमे शायरी सिखाते हैं

आइना शायरी

ज़िन्दगी से बडी़ सज़ा ही नहींऔर क्या जुर्म है पता ही नहींसच घटे या बढे़ तो सच न रहेझूठ की कोई इंतहा ही नहींचाहे सोने के फ़्रेम मे जड़ दोआइना झूठ बोलता ही नहीं

आइना शायरी

हमारी हर अदा का आइना आपसे हैं !हमारी हर मंजिल का रास्ता आपसे हैं !!कभी न दूर होना हमारी जिंदगी से !हमारी हर ख़ुशी का वास्ता आपसे हैं !!

आइना शायरी

हरेक चहरे को ज़ख़्मों का आइना न कहोये ज़िंदगी तो है रहमत इसे सज़ा न कहोन जाने कौन सी मजबूरियों का क़ैदी होवो साथ छोड़ गया है तो बेवफ़ा न कहो

आइना शायरी

देखा जो आइना तो मुझे सोचना पड़ा,खुद से न मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा,उसका जो ख़त मिला तो मुझे सोचना पड़ा,अपना सा वो लगा तो मुझे सोचना पड़ा.